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बुधवार, 19 अप्रैल 2017

Raabta: Love, Dreams, Destiny

Synopsis: “Raabta”… rooh jude toh judi reh jaaye 
(“An Unexplained Connection” …When two souls unite, they become one) 
Raabta is a modern-day story of two seemingly ordinary people who have the most extraordinary experience when they realize that they are connected through a past experience of unrequited love,  passion. adventure and treachery. 
In the hip and thriving European city of Budapest, two strangers,  Shiv (Sushant Singh Rajput) and Saira (Kriti Sanon) are mysteriously drawn to each other and have a whirlwind of a hysterical romance. As they party through this bustling city,  Saira questions the relationship more so because of how fast they have fallen so madly and deeply in love. 
Shiv is a laugh-a-minute and effortlessly brings so much sunshine into her life that Saira feels this is too good to be true. Until, of course, the third angle to their relationship emerges in the form of Zakir Merchant (Jim Sarbh), a billionaire playboy who goes all out to woo the beautiful yet strikingly down-to-earth Saira.  She’s floored by the attention and by Zak’s suaveness
But a prophecy from the past looms large over the destinies of Shiv, Zak and Saira in this life too. Will they manage to break this cursed cycle? Will destiny repeat itself? Will the lovers reunite or will they meet the same fate? 
Who does Saira belong to in this life? Zak or Shiv? 

Set against the vibrant and luscious backdrop of Europe and Mauritius, Raabta is a hysterical rollercoaster of contemporary relationships, love, intrigue, entertainment and life (twice over!).

मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

हिंदी फिल्म --- बदलापुर बॉयज

रिलीज़ -- १२ दिसम्बर 
बैनर - कर्म मूवीज 
निर्माता  -- सतीश पिलंगवाड़ 
लेखक और निर्देशक ---  शैलेश वर्मा
कलाकार ---  निशान, सरन्या मोहन, पूजा गुप्ता, अन्नू कपूर, किशोरी शहाणे, बोलोराम दास, नितिन जाधव, शशांक उदयपुरकर, मज़हर खान, अंकित शर्मा और विनीत शर्मा । 
संगीत ---  शमीर टंडन, सचिन गुप्ता और राजू सरदार।
गीतकार -  समीर अंजान
गायक - गायिका -- सुखविंदर, शानमहालक्ष्मी अय्यरश्रेया घोषाल, जावेद अली, ऋतू पाठक।
नृत्य निर्देशिका - सरोज खान।  
फिल्म "बदलापुर बॉयज"  की कहानी उत्तर प्रदेश एक  गाँव बदलापुर की है। इस गांव में पानी की कमी है , जिससे  सारे गाँव वाले परेशान हैं. बदलापुर गाँव का  सरपंच अपने कुछ  साथियों  के साथ जिला कलेक्टर के पास जाता है अपने गाँव की पानी की समस्या को लेकर ,  कलेक्टर उनसे कहता है  कि इतना आसान नही है गाँव में नहर का बनना।  इसके लिए मुख्य मंत्री की परमिशन की जरूरत होती है.  
गाँव में नहर बनने का आर्डर  नही आने से  दुखी गाँव का एक आदमी राम प्रवेश पासी (विनीत शर्माआत्म दाह कर लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।   राम प्रवेश पासी ने अपने  गांव की बुनियादी जरूरत को पूरा करने  के लिए आत्म दाह किया  और अपने पीछे एक छोटा बेटा और  रोती हुई पत्नी सुंदरी ( किशोरी शहाणे ) छोड़ गया फिर भी गाँव वाले उसे पागल कहते हैं। गाँव वाले  जब तब विजय को पागल का बेटा कह कर पुकारते हैं जो की उसे अच्छा नही लगता। अपने पिता की मृत्यु के बाद छोटा बच्चा विजय गाँव के मुखिया (अमन वर्मा ) के यहाँ मजदूरी करने लगता है।  विजय को कबड्डी का खेल बचपन से बहुत अच्छा लगता है।  ऐसे ही एक दिन जब वो मुखिया की बकरियाँ चराने जाता है तभी उसके कानों में कबड्डी के खेल की आवाज़ कबड्डी - कबड्डी सुनाई देती है और वो सब  कुछ छोड़ कर  कबड्डी का खेल देखने चला जाता है और पीछे से बकरियाँ सारा खेत चर जाती हैं बस फिर मुखिया उसे बहुत मारता है
विजय ( निशान  ) बड़ा हो गया है वो हमेशा कबड्डी का खेल  देखता है . गाँव में मेला लगता है और दूसरे गांव की टीम से बदलापुर की टीम का मैच होता  है और हर बार की तरह इस बार भी बदलापुर की टीम हार जाती है. इस बार विजय को भी टीम में खेलने का मौका मिल जाता है।  लखनऊ से आये हुए कबड्डी के कोच सूरज भान सिंह (अन्नू कपूर ) की निगाह विजय के कबड्डी खेलने के तरीके पर जाती है और वो उससे बहुत ही प्रभावित होते हैं. इसी मेले में विजय की मुलाकात मेरठ से आयी हुई सपना ( सरन्या मोहन ) से होती है दोनों में प्यार हो जाता है। कुछ दिन गाँव में रह कर सपना वापस  मेरठ  चली जाती है। 
 बदलापुर के  लोग अपने गाँव की  कबड्डी टीम  के सभी खिलाड़ियों पर सब बहुत हँसते हैं क्योंकि  उनकी टीम हमेशा ही हारती है. तभी गाँव की कबड्डी टीम को पता चलता है की इलाहाबाद में कबड्डी का टूर्नामेन्ट हो रहा है अगर उनकी टीम इस  टूर्नामेन्ट में जीत गयी तो उन्हें मुख्यमंत्री के  हाथ से लाख रुपये मिलेगें।  इससे  सारे लोग  उनकी इज्जत करेगें।  सारे लड़के जैसे - तैसे करके इलाहाबाद  जाते हैं और वहां स्टेडियम में पंहुच कर कबड्डी खेलने के लिये कहते हैं। लेकिन कबड्डी प्रतियोगिता के नियमों की वजह से उन्हें प्रतियोगिता में शामिल नही किया जातातभी समाचार आता है कि कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल होने वाली एक  टीम की बस  के साथ  दुर्घटना घट  गयी  है बस क्या होता है मौका मिल जाता है  'बदलापुर बॉयज "  को खेलने का। कोच सूरज भान उन्हें खेल के नियम बताते हैं और पहले ही मैच  में उनकी टीम मुग़लसराय की टीम को हरा देती है और देखते - देखते "बदलापुर बॉयज " की टीम सबकी पसंदीदा टीम बन जाती है और इन सबसे ऊपर विजय के  कबड्डी  खेलने के तरीका  सभी दर्शकों का मन मोह लेता है। उनकी सादगी और खेलने के अन्दाज़ से स्पोर्ट्स फोटोग्राफर की बेटी मंजरी ( पूजा गुप्ता ) उससे मन ही मन प्यार करने लगती है। 
कोच सूरज भान सिंह  की सहायता से बदलापुर की टीम फाइनल तक पंहुच जाती है और फाइनल में उसका मुकाबला रेलवे की टीम से हो होता है। उनके गाँव तक भी उनकी कामयाबी की खबर  पंहुचती है और सभी गाँव वाले , विजय की माँ , गाँव का मुखिया  इलाहाबाद आते हैं।  कबड्डी का मैच तो विजय किसी भी हालत में जीतना चाहता है लेकिन इसके पीछे वजह होती है  मुख्यमंत्री से मिल कर अपने गाँव की पानी  की समस्या से उन्हें परिचित कराना।   
 सेमी फाइनल में खेलते समय विजय के चोट लगती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है डॉ उसे खेलने के लिये मना करते हैं  लेकिन फिर भी  विजय  फाइनल में रेलवे की टीम को हरा कर मुख्यमंत्री से मिलना चाहता है।  फाइनल में आखिरकार "बदलापुर बॉयजकी टीम  जीत जाती है और विजय के पिता के नाम से गाँव में नहर भी बन जाती है लेकिन जिसकी वजह से  टीम जीतती है वही नही होता इस दुनिया में अपनी जीत का  जश्न मनाने लिये  
आखिर क्या हादसा होता है विजय के साथ , जो कि वो नही देख पाता कि अब उसके गाँव में भी पानी की कोई कमी नही है और अब उसके गाँव में भी  चावल की भरपूर खेती लहलहा रही है। 
महीने के बाद गांव में फिर मेला लगा हुआ है शहर से सपना आयी हुई है और वो पूरे गाँव में विजय को खोज रही है लेकिन कोई भी उसे विजय का पता नही बताता क्योंकि कोई नही चाहता की जो उनके दिल में बीत रही है वो ही सपना  पर भी गुज़रे।

Actors who aced the Anti-Hero roles on screen

  Bollywood has always loved its heroes, but it's the anti-heroes, the flawed, unpredictable, and dangerous ones, who often steal the sh...