गुरुवार, 23 अगस्त 2012

प्रियंका में है दम अन्याय के खिलाफ खड़े होने का


फ़िल्म इंडस्ट्री में जहाँ अभिनेत्रियाँ अपने फैशन, करियर, बॉयफ्रेंड और खुद के आगे कभी सोचती नहीं हैं वहीँ एक ऐसी अभिनेत्री है जिसमें ये दम है कि वो सच्चाई और नाइंसाफी के खिलाफ खड़ी हो सके. और वो अभिनेत्री और कोई नहीं बल्कि प्रियंका चोपड़ा है.  प्रियंका ने ये आवाज़ २५ साल की पल्लवी पुरकायस्थ के लिए उठाई है जिसकी हाल ही में हत्या कर दी गयी. प्रियंका अपनी फ़िल्म डॉन २ के वक़्त पल्लवी से मिली भी थी. लेकिन प्रियंका उसकी हत्या के बारे में इसलिए नहीं बोल रही है कि वो उनसे मिल चुकी . उसकी जगह कोई भी लड़की रहती तो वो इसी कदर उस बात पर सवाल उठती. ये इतनी बड़ी घटना थी लेकिन किसी ने इसके बारे में एक चूँ तक नहीं की. प्रियंका ने बहुत ही बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है उन लोगों पर जो अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए थे. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि इतनी बड़ी बात पर लोग चुप कैसे रह सकते हैं. बौलीवुड मुंबई का अहम् हिस्सा है. ये मुंबई के बीचों बीच बसता है. लेकिन फिर भी किसी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा जो कि काफी हैरान जनक था. प्रियंका मुंबई की सभी लड़कियों की आवाज़ बनकर सामने आई हैं.
पल्लवी, जो कि फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी के प्रोडक्शन हाउस की कानूनी सलाहकार थी, ९ अगस्त को उनके वडाला घर में लगभग डेढ़ बजे उनके चौकीदार ने उनकी हत्या कर दी घर में घुस कर. चौकीदार सज्जद अहमद मुग़ल ने बड़ी ही बेरहमी से पल्लवी का कत्ल कर दिया वो भी सिर्फ इसलिए क्यूंकि उसे पल्लवी ने दांत लगा दी थी किसी वजह से.


प्रियंका का कहना है कि मुंबई में अब कोई भी लड़की खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. मुंबई जो कि सबसे सुरक्षित शहरों में गिना जाता था, वो बात तो अब रही ही नहीं. इस मायानगरी में जहाँ लोग खासकर लड़कियां जो बड़े बड़े सपने लेकर आती हैं वो शायद ऐसा कदम उठाने से पहले दस बार सोचेगी. आखिरकार सपनों से बड़ी जान होती है. जब जान ही गवा दी तो सपने कहाँ पूरे होंगे. प्रियंका ने ये आवाज़ २५ साल की पल्लवी पुरकायस्थ के लिए उठाई है जिसकी हाल ही में हत्या कर दी गयी. प्रियंका अपनी फ़िल्म डॉन २ के वक़्त पल्लवी से मिली भी थी. लेकिन प्रियंका उसकी हत्या के बारे में इसलिए नहीं बोल रही है कि वो उनसे मिल चुकी . उसकी जगह कोई भी लड़की रहती तो वो इसी कदर उस बात पर सवाल उठती.
 प्रियंका ने बताया "जब मैंने मुंबई में अपना कदम रखा था तब बाकायदा १७ साल की थी. बतौर पेयिंग गेस्ट रहती थी यहाँ पर. कुछ वक़्त बिताने के बाद मैंने महसूस किया कि इस शहर में डरने वाली कोई बात नहीं है. यहाँ तो हर कोई आज़ाद है. किसी चीज़ का खौफ नहीं. और मुंबई ने मुझे अपना सपना पूरा करने की पूरी आज़ादी दे दी थी. ऐसा कुछ नहीं था जो मैं कर नहीं सकती थी. कोई भी  वक़्त, कहीं भी, किसी भी यातायात से अकेले यात्रा करने से या रहने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं होती थी. मुंबई शायद मेरे लिए स्वतंत्र होने का दूसरा नाम था. वहीँ जब मैंने पल्लवी के बारे में सुना तो मैं हैरान रह गयी कि ऐसी कोई चीज़ मुंबई में हो सकती है."
प्रियंका का मानना है कि अचानक से ऐसा लग रहा है कि स्वतंत्र महिलाओं से किसी ने उनकी आज़ादी छीन ली हो. यहाँ पर कुछ भी सुरक्षित नहीं लगता है अब. और ये बात एक औरत ही अच्छे से समझ पायेगी. कितनी लड़कियां यहाँ पर अपने पढ़ाई और काम की वजह से अकेले रहती हैं. इसका दुष्प्रभाव सिर्फ उनपर ही नहीं बल्कि उनके माँ बाप पर भी कई गुना ज्यादा पड़ेगा जो कि अपनी बेटियों को अकेले मुंबई जा कर रहने की इजाज़त देते हैं. मुंबई जो कि कभी सबके सपनों की आशा होती थी अचानक से वो भरोसा गायब होते नज़र आ रहा है. प्रियंका कभी किसी मुद्दे पर जल्दी अपनी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं. अगर इस मसले पर उन्होंने अपनी आवाज़ उठाई है तो ज़ाहिर सी बात है कि उन्हें ये घटना बेहद आहत कर गयी है. और ये वाकई में बेहद संजीदा मुद्दा है जिस पर सवाल उठाने की बहुत ज़रुरत थी.

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