शनिवार, 2 जून 2012

Queens! Dance of Destiny wins 6 awards at the Los Angeles Film Awards


The other categories of awards at LAMA are Narrative Features (Films that are 50 minutes and over, all genres), Narrative Shorts (Films that are 50 minutes and under, all genres), Documentary Features (Documentaries 50 minutes and over, all topics), Documentary Shorts (Documentaries 50 minutes and under, all topics), Student (Student made films that are 60 minutes and under, all genres) Experimental



After winning rave reviews at the Kashish Mumbai International Queer Film Festival 2012, Miraj Group’s Queens! Dance of Destiny has bagged six awards at The  Los Angeles Movie Awards in the International Films category.
“Queens! Destiny of Dance is a film which takes one into the heart of an up-market Hijra or the trans-gender community. This film reveals a journey of life in human experience that is seldom understood. Even more, it is made with the honest efforts to show such lives in a better light. And through this film we hope to celebrate a way of life in every colour through dance of destiny and we are vey happy that it is so well-received,” says Sonal Deshpande, COO, Miraj Entertainment.

The Los Angeles Movie Awards aims to celebrate Independent Motion Picture and Literary Arts by providing a platform for filmmakers and writers to have an opportunity to  be awarded for their work. 

Queens! Dance of Destiny won the first place in the International Films Category, besides Best Director – David Atkins, Best  Cinematography, Best Costume Design, Best Supporting Actress – Seema Biswas and Best Special Effects categories. (PLEASE GIVE ME NAMES OF PEOPLE HERE) Says the LAMA  spokesperson, “we would like to thank the Miraj Group for participating and submitting such high quality work. We wish them all luck in their future endeavours.”  Adds Seema Biswas, “when you do a film you believe in, it feels great when your work gets acknowledged. I am very happy for Queens! The Dance of Destiny. The film and the makers deserve these laurels for the subject selection and the no-expenses spared effort.”
(Films that do not follow a traditional narrative format that are under 90 minutes, all genres), Animation (Animated films that are under 50 minutes, all genres), Music Video (Music Videos that are under 30 minutes, all genres)and Scripts Film, Stage, Television and commercials of any length, all genres).
Avers Sonal Deshpande. “this is merely the beginning for Queens. We look forward to a lot more in the near future.”

धारावाहिक "कुल की कन्याज्योति" आमिर खान के "सत्यमेव जयते" से प्रेरित


अभिनेता आमिर खान ने अपने कार्यक्रम ‘सत्यमेव जयते’ में कन्या भ्रूण हत्यासे सम्बंधित मामला उठा कर, हमें इस गंभीर मामले के बारे मे सोचने पर मजबूर कर दिया.उन्होंने समाज की जो सच्चाई हम सबके सामने पेश की है, वो बहुत ही दुखद है लेकिनआमिर का यह प्रयास बहुत ही काबिले तारीफ है.
पहले भी समय-समय पर टीवी धारावाहिकों के द्वारा इस गंभीरमामले को लोगों के सामने लाने की कोशिश की गए है. “घर की लक्ष्मी बेटियां” और “बेटियां अपनी या पराया धन” भी इन ही मुद्दों पर आधारितधारावाहिक थें, जिन्होने समाज में फैले इन्ही गंभीर मुद्दों को उठाया था. दूरदर्शनपर आनेवाला धारावाहिक ‘कुल की ज्योति कन्या’ भी इस ही कड़ी का एक और प्रयास है, जो की हमारे दिलऔर दिमाग को झकझोर देने वाली समाज की इस सच्चाई ‘कन्या भ्रूण हत्या’ के मामलेको लोगों के सामने लाएगा।

जिसकी पहली कडी प्रसारित होगी ७ जून को दूरदर्शन पर दोपहर१२ बजे. इसके बाद यह धारावाहिक हर सोमवार से शुक्रवार प्रसारित होगा दूरदर्शन परदोपहर १२ बजे.
धारावाहिक “कुल की ज्योति कन्या” की कहानी है एक ऐसे इंसान कीजो बेटे की चाह में अपनी गर्भवती पत्नी और अपनी दो छोटी बेटियों को घर से निकालदेता है और दूसरी शादी कर लेता है लेकिन बाद में उसकी दूसरी शादी से हुए बेटे हीउसे किस तरह से प्रताडित करते हैं? आखिर में उसकी वो बेटियाँ ही उसकी देखभाल  करती है जिन्हें उसने बचपन में अपने घर से निकालदिया था और उसे अपनी गलतियों का अहसास होता है कि वो कितना गलत सोचता था जबकि कुलकी ज्योति तो कन्या ही होती है. 

डी एस प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर में बने इसधारावाहिक के निर्माता दीपक शर्मा कहते हैं, "हमारी पूरी दुनियामहिलाओं के आसपास घूमती है, वो हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारी माँ,बहन, बेटी सभी महिलाऐ है जिनके बिना हम अपना अस्तित्व सोच भी नहीं सकते. अगर उनकेलिए कुछ करने का मौका मिले तो इस से बड़ी बात और क्या हो सकती है. मेरे घर में भीमेरी एक छोटी पारी है और ये भी इस धारावाहिक से जुड़ने का एक बहुत ही महत्पूर्णकारण है.”

आलोक दीक्षित इस धारावाहिक के निर्देशक हैं. धारावाहिक के लेखकहैं पारस जैसवाल. जिन कलाकारों ने इसमें अभिनय किया है उनमे मुख्य हैं अभिनेत्रीउपासना सिंह, गजेन्द्र चैहान, आशा सिंह, साहिबा, विजय भाटिया, अमित पचैरी, मल्लिका, मनीष जैन, रमेश गोयल, सुमन गुप्ता, राजेश तिवारी, अंजू राजीव और चारु वाधवा.

MOVIE STILLS OF ROWDY RATHORE

Chasme Baddoor to release inAugust!


David Dhawan’s upcomingcomic caper Chasme Baddoor, which isa remake of the original 1981 hit film, is slated for release on 31st of August, 2012.
The movie boasts of afresh young cast such as Ali Zafar,Siddharth (Rang De Basanti fame) and DivyenduSharma (Pyaar Ka Punchnama fame) along with southern beauty Tapasee who is making her Bollywood debut.
The movie is producedby Viacom 18 Motion Pictures andmusic is by Sajid Wajid.


शुक्रवार, 1 जून 2012

Rowdy Akshay Kumar Rathor


साउथ के डाइरेक्टर आम जनता की नब्ज समझते हैं। बॉलीवुड के तमाम खानों को दक्षिण की हिट फिल्मों ने ही सौ करोड़िया अभिनेता बनाया है। सलमान खान को सौ करोड़ का अभिनेता बनाने वाली फिल्म दबंग के डाइरेक्टर प्रभूदेवा ने साबित कर दिया है कि वह मसाला फिल्म कैसे बनाई जाती हैं, अच्छी तरह से जानते हैं।
कहानी की बात करें तो राउडी राठोर के कहानी घिसी पिटी है। हमशक्ल पुलिस वाला और चोर की कहानी एक बार नहीं कई बार देखी सुनी गयी है। तेलुगू फिल्म vikramarkudu का रीमेक इस फिल्म की कहानी एक छोटे कस्बे के पुलिस वाले की है। जिसके आने के बाद एक छोटे मोटे गुंडे का आतंक खत्म हो जाता है। विजयेन्द्र प्रसाद और एन प्रकाश की लिखी इस फिल्म की पटकथा शिराज अहमद ने लिखी है। इस पटकथा में दम है। हर दृश्य नया सा लगता है। यहाँ तक की बार बार का देखा पुलिस वाला भी और उसकी खूबसूरत भारतीय परिवेश वाली प्रेमिका भी। फिल्म में एक्शन, कॉमेडी, नाच गाना और इमोशन को बड़े संतुलित तरीके से पिरोया है। अक्षय कुमार के होते हुए भी प्रभूदेवा ने उन्हे अक्षय कुमार नहीं बनाए दिया है। वह शिवा और इंस्पेक्टर विक्रम सिंह राठोर लगते हैं। एक्शन हैरतअंगेज हैं, लेकिन दहलाते नहीं। साजिद वाजिद ने मस्त संगीत दिया हैं, जो फिल्म के माहौल के अनुकूल है। खास तौर पर सोनाक्षी सिन्हा को अच्छे ठुमके लगाने को मिले है। इसके लिए फिल्म के तीन choreographers से ज़्यादा प्रभूदेवा की समझ ज्यादा जिम्मेदार है। उन्होने पुलिस और चोर की इस कहानी में विक्रम राठोर की बेटी के जरिये इमोशन पैदा किए हैं। प्रभूदेवा ने दबंग में एक छोटे विलेन सोनू सूद का उपयोग किया था। इस फिल्म में विलेन चेहरे जाने पहचाने नहीं। लेकिन प्रभूदेवा न उनके चेहरों के क्लोजअप के जरिये आतंक का माहौल बखूबी बनाए रखा है। अक्षय कुमार के टक्कर का विलेन देखने की ज़रूरत ही नहीं महसूस होती। फिल्म में गाड़ियों को जलाने के दृश्य रोहित शेट्टी की फिल्मों की याद दिलाते हैं, लेकिन प्रभूदेवा ने गाड़ियों को अपनी स्टाइल में जलाया है, दर्शक ज़बरदस्त तालियाँ बजाता है। संतोष ठुंडील का कैमरा एक्शन के रोमांच को आसमान पर पहुंचाता है, वही सोनाक्षी सिन्हा की खूबसूरती को उभारता है।
अक्षय कुमार इस प्रकार की भूमिका बहुत बार कर चुके हैं। राउडी राठोर में अक्षय ने इन दोनों भूमिकाओं को भिन्न रखा ही है, लाउड भी नहीं होने दिया है। उनके शरीर पर वर्दी कम रही है, लेकिन संवाद धुआंधार रहे हैं। उनकी कोमड़े जितना हँसाती हैं, एक्शन उतना ही रोमांचित करते हैं।
सोनाक्षी सिन्हा की दबंग के दो साल बाद दूसरी फिल्म रीलीज़ हुई है। वह बेहद खूबसूरत और शोख लगी हैं। उन्हे देखते हुए पुराने जमाने की अभिनेत्रियों की याद अनायास आ जाती हैं। उनमे अभिनय प्रतिभा भी है। वह जहां नज़ाकत दिखती हैं, वही इमोशन भी कर जाती हैं। उन्हे देख कर श्रीदेवी की याद आती रहती है। इसलिए नहीं कि वह श्रीदेवी की नकल कर रही थीं, बल्कि वह श्रीदेवी की तरह हरफनमौला अभिनेत्री साबित होती थीं।
नासर साउथ के बड़े विलेन हैं। हिन्दी फिल्मों में उन्हे कोई नहीं जानता। लेकिन वह अक्षय के सामने अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराते हैं। जयंत गदेकर का क्लोजअप दर्शकों को खूंखार गुंडे की याद दिलाता है। परेश गणत्रा और काजल वशिष्ठ प्रभावित करते हैं। बाकी सब कलाकार अपने अपने रोल में ठीक ठाक हैं।
साजिद वाजिद का संगीत और समीर, फैज, शिराज और साजिद के गीत फिल्म को मनोरंजक बनाते हैं। मिका और वाजिद का गया चिंता ता चिता  चिता, धड़ंग ढंग ढंग, छमक छल्लों, आदि गीत फिल्म के बहाव को रोकते नहीं, टेंशन को रीलीज़ करने वाले हैं। संदीप चौटा ने कहानी के माहौल के अनुरूप पार्श्व संगीत दिया है। संजय संकला के कुशल सम्पादन के कारण फिल्म की लंबाई नियंत्रण में रही ही है, इसकी तेज़ी भी बरकरार रही है। एक्शन फिल्मों में एडिटिंग इंपोर्टेंट होती है।
फिल्म में अक्षय कुमार है, लेकिन यह केवल अक्षय कुमार की फिल्म नहीं। यह सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म भी है और कम जाने पहचाने चेहरों की भी। क्यूंकी यह फिल्म प्रभूदेवा की है, जो जानते हैं कि दर्शकों के मनोरंजन के लिए बड़े चेहरे नहीं, पकड़ वाली पटकथा और निदेशक की दृष्टि होनी चाहिए।
गर्मियों की छुट्टियों में समय बिताने का अच्छा मसाला है राउडी राठोर।





Actors who aced the Anti-Hero roles on screen

  Bollywood has always loved its heroes, but it's the anti-heroes, the flawed, unpredictable, and dangerous ones, who often steal the sh...