बुधवार, 1 जून 2016

Randeep Hooda choreographs action sequences for his upcoming film 'Do Lafzon Ki Kahani'

Randeep  Hooda is undoubtedly one of the most talented actors of B-town and the actor never ceases to surprise his fans with his superlative performance. And in the upcoming romantic saga  'Do Lafzo Ki Kahani'  where he will be seen opposite Kajal Aggarwal, the actor is all set to give his fans a brilliant performace. Not just that, Randeep who plays a MMA fighter (Mixed Martial Arts) in the film has choreographed some of the stunts all by himself.
His trainer and India’s best MMA fighter Irfan Khan supervised the MMA sequences to give it an authentic touch. As a part of his training, the actor along with his trainer practiced real fights so that he could play his part to the Tee. Not just that, each of the training sessions would go on for over four hours daily and even though the actor injured himself during one of the real fights, it did not deter him for continuing his practice.
What's more, real fighters were called for the practice and infact special permissions were taken to shoot at the Muay thai clubs. Muay thai which is a combat sport of Thailand helped Randeep to get into the skin of his character. The special oils used during this sport was also a surprise element for Randeep as these oils somehow help the boxers to fight better.  While Irfan helped him with MMA, Trainer Mansoor Sayed helped him in body building and as a first producer of the film Avinaash Rai trained with him to keep him motivated.

Vivek Oberoi to fly to Bangalore before Rai goes on floors

Vivek who is soon to step into the shoes of Muthappa Rai for his next with Ram Gopal Verma is going all out to get under the skin of his character. While the film is set to go on floors in the first half of June, the

actor will be flying to Bangalore a week prior to that to meet people who are associated with the former gangster turned businessman. Says a source, " Vivek is making a hush -hush trip to Bangalore to meet with Rai's friends and family and people he has dealt with also on a professional level. He will stay in Bangalore for a week and wants to completely prepare for this role and understand Muthappa's background,where he hailed from and his journey from being a dreaded  gangster to a successful businessman. Bangalore has always been a city Vivek loves. His wife, Priyanka , too hails from Bangalore and hence he is very familiar with the city

रिडले स्कॉट की झोली में एक वेस्टर्न फिल्म

इंग्लिश फिल्म प्रोडूसर और डायरेक्टर रिडले स्कॉट की पहले से ही फिल्मो से भरी झोली में एक वेस्टर्न फिल्म भी आ गिरी है।  द मार्शियन की सफलता से लबालब रिडले स्कॉट टैबूमर्सी स्ट्रीटद गुड वाइफद हॉट जोनपोट्सडमेर पलतजमाइंडहॉर्नएमाज वॉर, ेारतलेस्सडेविड मॉर्गनकिलिंग रीगन,  किलिंग पैटन और ब्रेन डेड जैसी फ़िल्में और टीवी सीरीज का निर्माण कर रहे हैं।  बतौर डायरेक्टर वह फिल्म एलियन कोवेनेंट बना रहे हैं।  अब उन्हें एस क्रैग जहलर के वेस्टर्न उपन्यास रैथस ऑफ़ द ब्रोकेन लैंड के फिल्म रूपांतरण का निर्देशन  करने का ज़िम्मा सौंपा गया है। इस फिल्म को द मार्शियन लेखक ड्रू गोडार्ड ही लिख रहे हैं।  गोडार्ड ने जहलर की डेब्यू फिल्म हॉरर बोन टॉमहॉक को लिखा था।  इस फिल्म में कर्ट रशेल ने फौलादी इरादे वाले शेरिफ का किरदार किया था।  रैथ्स ऑफ़ द ब्रोकन लैंड की कहानी क्रूर अपराधियों की हैजिन्हे एक सफ़ेदपॉश के क्लब से सेक्स स्लेवरी के लिए ले जाई गई दो बहनों को छुड़ाने का जिम्मा सौंपा जाता है।  द मार्शियन के डायरेक्टर रिडले अब अपनी एक सबसे खराब फिल्म प्रोमेथियस के सीक्वल एलियन :कोवेनेंट के निर्माण में जुटे हुए हैं। वैसे रिडले स्कॉट की आदत है कि वह फिल्म निर्माण के अधिकार खरीद लेते हैं और फिर चुप बैठ जाते हैं।  उदहारणस्वरुप उन्होंने फॉरएवर वॉर के लिए चैनिंग टॉटम को साइन कर लेने के बावजूद एक दिन भी फिलम की शूटिंग नहीं की है।  इसलिएयह पूछा जाना स्वाभाविक है कि क्या रिडले के एक्शन से वेस्टर्न फिल्म बन पाएगी ?  

अपराधियों का मददगार द अकाउंटेंट !

मार्च में रिलीज़ बैटमैन वर्सेज सुपरमैन: डॉन ऑफ़ जस्टिस में ब्रूस वेन/बैटमैन के करैक्टर को परदे पर उतारने के बाद अभिनेता बेन अफ्लेक वार्नर ब्रदर्स की फिल्म द अकाउंटेंट में एक कुटिल किरदार क्रिस को कर रहे हैं।  इस फिल्म का ट्रेलर अभी रिलीज़ हुआ है।  इस ट्रेलर में बेन अफ्लेक एक प्रतिभाशाली गणितज्ञ की भूमिका में नज़र आते हैं, जो भयानक दोहरी ज़िन्दगी जी रहा है। इस फिल्म को अक्टूबर की सबसे गर्म फिल्म बताया जा रहा है, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार है। फिल्म में एना केंड्रिक और जे के सिमंस क्रमशः डाना और रे किंग के किरदार को कर रहे हैं।  क्रिस्चियन वुल्फ को गणित का इस्तेमाल ज्ञान के  लिए करने से ज़्यादा खतरनाक अपराधी गिरोहों के अकाउंटेंट का काम करने में है।  इसका फल उसे भोगना ही होगा।  मगर कैसे इसका जवाब निर्देशक गेविन ओ'कोनोर की फिल्म द अकाउंटेंट देख कर ही मिलेगा।  ट्रेड पंडित इंतज़ार में है कि क्या बेन अफ्लेक की फिल्म द अकाउंटेंट डॉन ऑफ़ जस्टिस की तरह रिकॉर्ड तोड़ बिज़नेस कर पाएगी।  क्योंकि, द  अकाउंटेंट की रिलीज़ से एक हफ्ता पहले ७ अक्टूबर को बहुप्रतीक्षित द गर्ल ऑन द ट्रैन, केविन हार्ट: व्हाट नाउ, फोकस फीचर की फिल्म अ मॉन्स्टर कॉल्स और सोनी की फिल्म अंडरवर्ल्ड" ब्लड वार्स तथा १४ अक्टूबर को जैक रीचर २, ओइजा २ और बू! अ मडीअ हेलोवीन जैसी चर्चित फिल्मों के बीच द अकाउंटेंट रिलीज़ हो रही हैं।

                 

जब मिल जाएँ तीन यार, हो जाये ‘हाउसफुल’ !

१९८४ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी में संगीतकार बप्पी लहरी ने एक गीत रचा था- जहाँ चार यार मिल जाएँ वहीँ रात हो गुलजार।  हालाँकि, एक अमीर आदमी के शराबी पुत्र की इस कहानी में रोमांस था और उनकी  इंस्पेक्टर बने दीपक पराशर की दोस्ती की कहानी थी।  इस गाने से एक बात तो साफ़ होती ही है कि जहाँ चार यार  मिल जाएँ, वहीँ रात हो गुलजार, लेकिन जब फिल्म की कहानी दो किरदारों की दोस्ती की कहानी है तो यह सोचा जाना लाजिमी है कि जहाँ तीन यार मिल जाएँ तो क्या होता होगा ?
तीन दोस्तों की दोस्ती की मस्ती और धमाल
इस हफ्ते निर्माता साजिद नाडियाडवाला की साजिद फरहाद निर्देशित फिल्म हाउसफुल ३ रिलीज़ हो रही है। यह फिल्म तीन दोस्तों सैंडी, बंटी और टेडी की कहानी है।  इन भूमिकाओं को अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख कर रहे हैं।  जब तीन यार मिल जाएँ तो रोमांस भरा धमाल तो होना ही है।  जी हाँ, हाउसफुल फ्रैंचाइज़ी की इस तीसरी फिल्म में खूब मस्ती और कॉमेडी है। इनके साथ जैक्विलिन फर्नाडीज, नर्गिस फाखरी और लिसा हैडन का ग्लैमर और सेक्स अपील भी है। इसमें कोई शक नहीं कि जब तीन दोस्त मिलते हैं तो गज़ब की कॉमेडी होती है।  फिल्म मस्ती हो या ग्रैंड मस्ती या फिर आने वाली ग्रेट ग्रैंड मस्ती, फुल 2 फुलटॉस मस्ती है।  इसे आप द्विअर्थी या अश्लील मस्ती भी कह सकते हैं।  विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदसानी की दोस्त तिकड़ी हंसाते हंसाते लोटपोट कर देती है।  यही कारण है कि निर्देशक लव रंजन की २०११ में रिलीज़ तीन दोस्तों रजत, निशांत और विक्रांत की कॉलेज की दोस्ती की दास्ताँ स्लीपर हिट साबित होती है। बावजूद कार्तिक आर्यन, दिव्येंदु शर्मा और रायो एस बखिर्ता के नए चेहरों के।  यहाँ तक कि इस फिल्म का सीक्वल भी हिट साबित होता है।  प्रियदर्शन ने २००० में तीन दोस्तों के साथ कॉमेडी को नए आयाम दिए थे। राजू, घनश्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे की इस कॉमेडी चखचख में साफ़ सुथरा हास्य भरा था।  अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल ने कॉमेडी का कुछ ऐसा बारूद बनाया था कि हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी बन गई।  फिर हेरा फेरी के बाद खबर थी कि तीसरी फिल्म में अक्षय, सुनील और परेश नहीं होंगे।  लेकिन, बात नहीं बनी। निर्माता फ़िरोज़ नाडियाडवाला को इन्हीं तीनों की हेरा फेरी चाहिए।  बासु चटर्जी ने १९८२ में तीन बूढ़े दोस्तों की कहानी शौक़ीन में दिखाई  थीजो एक मॉडल पर लाइन मारने लगते हैं।  अपनी साफ़ सुथरी कॉमेडी कारण यह फिल्म हिट हुई थी।  इसके बाद २०१४ में इस फिल्म का रीमेक पियूष मिश्र, अनुपम खेर और अन्नू कपूर के साथ द शौकीन्स बनाया गया तो दर्शकों  ने इसे नापसंद कर दिया। अनीस बज़्मी की फिल्म नो एंट्री इसी फार्मूला पर फिल्म थी। मनमोहन देसाई ने अपनी फिल्मों में तीन दोस्तों के फॉर्मूले को  खूब आज़माया।  
नज़रिए का फर्क
हॉउसफुल, मस्ती और हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी  फिल्मों की शैली कॉमेडी कॉमेडी और सिर्फ कॉमेडी है।  वहीं, कभी लेखक के नज़रिए का फर्क किरदारों के सोचने में फर्क पैदा कर देता है।  तीन हँसते खेलते दोस्तों की ज़िन्दगी में गम्भीर मोड़ आ जाता है।  तीनों दोस्त किरदार अपने रोमांस के साथ गम्भीर हो जाते हैं।  कदाचित इस नज़रिए की शुरुआत फरहान अख्तर ने फिल्म दिल चाहता है से की थी।  हँसते, मज़ाक करते और बेपरवाह नज़र आते आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना के किरदार खुद की ज़िन्दगी में आये मोड़ से भावुक हो जाते हैं। वह परवाह करने वाले ज़िम्मेदार बन जाते हैं।  कुछ ऐसा ही काई पो चे, रंग दे बसंती, रॉक ऑन, ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा में भी देखने को मिलता है।  राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स इसे शिक्षा की ऊंचाइयों तक पहुंचा देती है।  रंग दे बसंती के तीन दोस्त सिस्टम को बदलने के लिए हथियार उठा  लेते हैं। 
दो लडके एक लड़की : क्या होता है !
जब तीन दोस्त मर्द हो तो धमाल होता है, क्लाइमेक्स में थोड़ी सीरियसनेस भी आती है।  लेकिन---अगर इन तीन किरदारों में से कोई एक लड़का या लड़की हो तब ! शायद महबूब खान ने पहली बार फिल्म में इस नज़रिए को दिखाने की कोशिश की थी।  फिल्म थी अंदाज़।  दोस्त थे दिलीप कुमार, राजकपूर और नर्गिस।  क्या दो मर्दों के साथ एक औरत की दोस्ती हो सकती है।  महबूब ने यह बताने की कोशिश की थी कि मनमुटाव तो होना ही है।  लेकिन, समझदारी बड़े काम की चीज़ है।  एक दोस्त को बलिदान देना चाहिए।  बलिदान का यह फार्मूला राज कपूर ने फिल्म संगम में भी दिखाया।  राजकपूर और वैजयंतीमाला के लिए राजेंद्र कुमार को बलिदान करना पड़ा।  इस बलिदान को १९८८ में सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ सुनील हिंगोरानी ने भी दोहराया।  सनी देओल को बलिदान देना पड़ा।  लॉरेंस डिसूज़ा की फिल्म साजन में सलमान खान अपने दोस्त संजय दत्त के लिए माधुरी दीक्षित का बलिदान कर देते हैं। 
दो लडकिया, एक लड़का : तब क्या होता है !
जब दोस्ती से उपजे रोमांस फिल्मों के किरदारों में थोड़ा फर्क कर दिया जाता  है यानि आपस में दोस्त  दो  लड़कियां एक ही लडके को प्यार करने लगें तो क्या होता हैं ! यहाँ एक ख़ास बात शाहरुख़ खान ने  ऐसी कई फिल्मों में काम किया है, जिनमे एक लड़के से दो लड़कियां प्रेम करने लगाती हैं।  कुछ कुछ होता है में  काजोल और रानी मुख़र्जी, दिल तो  पागल में करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित, देवदास में ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित और जब तक है जान में कैटरिना कैफ और अनुष्का शर्मा के किरदार शाहरुख़ खान के किरदार से प्रेम करती हैं।  इन इन दो औरतों में से एक बलिदान देती है। यहां एक ख़ास नुक्ता है ।  यह बलिदान भारतीयता की झलक मारती नारी के लिए आधुनिक नायिका को देना पड़ता है।  कॉकटेल में दीपिका पादुकोण सैफ अली खान को केवल इस कारण से खो देती हैं, क्योंकि वह आधुनिकता के रंग में रंगी थी।  मुझसे दोस्ती करोगे में इकलौते ह्रितिक रोशन से रानी मुख़र्जी और करीना कपूर प्यार  करती हैं। विदेश से आई करीना कपूर बलिदान करती है।  सलमान खान को भी हर दिल जो प्यार करेगा और चोरी चोरी चुपके चुपके जैसी फिल्मों में दो नायिकाएं प्यार करती हैं। इन सभी रोमांस की शुरुआत दोस्ती से ही होती है। 
शाहरुख़ खान का हटके अंदाज़
शाहरुख़ खान की रोमांस फिल्मों में दो नायिका भी थी और दो नायक भी।  मतलब दो स्त्रियां उनसे रोमांस कराती हैं या उनके साथ दूसरा नायक भी इकलौती नायिका से प्रेम करने लगता है।  इस रोमांस में खान दो नए रंग पेश करते हैं।  वह बलिदान देना नहीं जानते।  बाज़ीगर, डर और अंजाम जैसी फिल्मों में वह खून खराबा करने पर उतर आते हैं।  बाज़ीगर में तो वह अपने से प्यार करने वाली शिल्पा शेट्टी की हत्या कर  देते हैं और काजोल को भी मारने का प्रयास करते हैं।  डर और अंजाम फिल्मों में वह जूही चावला और माधुरी दीक्षित के किरदारों को पाने के लिए खून बहाने से पीछे नहीं हटते । 

ज़ाहिर है कि तीन दोस्तों की दोस्ती धमाल करने वाली होती है।  बलिदान भी होता है, लेकिन हाउसफुल ३ में ऐसी कोई गुंजायश नहीं।  तीनों नायकों की एक एक नायिका है।  आगामी कई फिल्मों में  इस प्रकार के कई रंग देखने को मिल सकते हैं।   क्योंकिहिंदी फिल्मों को यार बिना  चैन कहाँ रे !  

Actors who aced the Anti-Hero roles on screen

  Bollywood has always loved its heroes, but it's the anti-heroes, the flawed, unpredictable, and dangerous ones, who often steal the sh...