छोटे पर्दे पर अपने शो "सनसनी "से सनसनी मचा रहे श्री वर्धन त्रिवेदी जल्द ही अपनी पहली भोजपुरी फिल्म देख के से दर्शकों के सामने हाज़िर हो रहे हैं .फिल्म के बारे में उनका कहना है कि --- ये जीवन के महाभारत का वो मोड़ है, जहाँ हर कोई कृष्ण बनने को तैयार है | तलाश है तो एक अर्जुन की. ये सच्चाई ना केवल आज के युग जीवन पर खरी उतरती है, बल्कि भोजपुरी फिल्मों के संदर्भ में भी ये बात सोलहो आने सच है | आज हर शख्स आँखों में ढ़ेर सारी चिंगारी भरकर एक रौशनी की तलाश में है, लेकिन ये इस चिंगारी को रौशनी में तब्दील करे कौन.. ?? जिंदगी की इसी स्याह-सफ़ेद सच्चाई को फ़िल्मी पर्दे पर पेश करेगी निर्देशक निखिल राज की फिल्म "देख के" | फिलहारमोनिक एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी इस भोजपुरी फिल्म से छोटे के स्टार श्रीवर्धन त्रिवेदी और स्वयं निखिल राज बड़े पर्दे पर दस्तक देने जा रहे हैं | "देख के" कथ्य और शिल्प के लिहाज़ से भोजपुरी सिनेमा में एक नए युग का सूत्रपात करेगी | खटिया-पाटिया और लहंगा-चुनरी के दलदल में धंसी भोजपुरी सिनेमा को वास्तविक संदर्भों से जोड़ने की जो कोशिश "देख के" में देखने को मिलेगी, हो सकता है उससे इस सिनेमा को नए मायने और नयी पहचान मिले..श्रीवर्धन त्रिवेदी और निखिल राज के अलावा इस फिल्म में जहाँ एक ओर जाकिर हुसैन ,वंदना वशिष्ठ ,जीतू शाश्त्री ,हरीश हरिहौत ,और महेंद्र मेवाती जैसे मंझे हुए कलाकारों का अभिनय देखने को मिलेगा तो वहीं दूसरी ओर अवधेश मिश्रा ,श्री कंकानी,के.के.गोस्वामी और प्रकाश जैश जैसे खांटी भोजपुरिया खिलाड़ी भी इस फिल्म में अपना जौहर दिखाते नज़र आयेंगे..म्यूजिक को लेकर भी इस फिल्म में एक नया प्रयोग किया गया है .भोजपुरी फिल्मों का म्यूजिक एक संकुचित दायरे में ही डूबता उतराता रहता है ,पहली बार आप भोजपुरी म्यूजिक में क्लासिकल और लोक संगीत जैसी म्यूजिक शैली की मिठास को बॉम्बे जयश्री और कैलाश खेर ने अपनी आवाज बख्शी है..देख के महज एक फिल्म भर नहीं है बल्कि भोजपुरिया सिनेमा के हालात से उपजे हूक से पैदा हुआ एक प्रतिकार भी है जो निर्देशक निखिलराज के भोजपुरिया जोश और जूनून को भी दर्शकों के सामने लायेगी .निखिल की इस कोशिश को कुछ इस रूप में देखा जाना चाहिए...
दीया खामोश है मगर का दिल तो जलता है
चले आओ जहां तक रौशनी मालूम होती है ..
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