यह पृथ्वीराज जैसे जोड़ के अभिनेता के बस की ही बात हो सकती है। मूक फिल्म बे धारी तलवार, शेर-ए- अरब, प्रिंस विजयकुमार और सिनेमा गर्ल जैसी मूक फिल्मों के अभिनेता पृथ्वीराज ने पहली बोलती फिल्म आलमआरा में कुमारपुर राज्य के मुख्य मंत्री का किरदार किया था। इस की बेटी आलमआरा यानि ज़ुबैदा थी। मास्टर विट्ठल ने राजकुमार की भूमिका की थी। इस कॉस्ट्यम ड्रामा फिल्म से अपने सवाक फिल्म करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक किरदार किये। धार्मिक- पौराणिक फिल्मों में वह राम भी बने और दशरथ भी। वह सेलुलाइड के अर्जुन भी थे और कर्ण भी। आलमआरा के बाद अगली फिल्म द्रौपदी (१९३१) में वह अर्जुन बने थे। लेकिन, महारथी कर्ण (१९४४) में वह अर्जुन के प्रतिद्वंद्वी कर्ण बने । वह शायद इकलौते ऐसी अभिनेता थे, जिसने रामायण के रचयिता वाल्मीकि की भूमिका भी की और वाल्मीकि रामायण के राम और राम के पिता दशरथ भी बने। १९३४ की सीता में वह राम की भूमिका में थे। वाल्मीकि (१९४६) में महाकवि वाल्मीकि बने थे। ३१ साल बाद उन्होंने श्री राम भरत मिलाप (१९६५) में दशरथ की भूमिका की थी। १९४१ की फिल्म सिकन्दर में सिकन्दर महान का किरदार करने वाले पृथ्वीराज कपूर १९६५ में सिकन्दर बने दारा सिंह के सामने फिल्म सिकन्दर ए आज़म में पोरस बने खड़े थे। के आसिफ की फिल्म मुग़ल ए आज़म में अकबर की भूमिका करने के बाद पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म जहाँ आरा (१९६४) में अकबर के पोते शाहजहां का किरदार किया था। इप्टा के स्थाई सदस्य पृथ्वीराज कपूर ने १९४४ में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की और १६ सालों में २६०० शो किये। एक स्थापित और प्रतिष्ठित अभिनेता होने के बावजूद पृथ्वीराज कपूर ने दारा सिंह की बी ग्रेड स्टंट फिल्मों से भी परहेज़ नहीं किया। उन्होंने दारा सिंह के साथ सिकन्दर ए आज़म, लुटेरा, इन्साफ और डाकू मंगल सिंह जैसी फ़िल्में की। दारा सिंह की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म नानक दुखिया सब संसार (१९७०) में वह ज्ञानी की भूमिका में थे। ख्वाजा अहमद अब्बास की एक बर्बाद हो चुके नवाब आसमान की ज़िन्दगी पर फिल्म आसमान महल में नवाब आसमान का किरदार पृथ्वीराज कर रहे थे। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान पृथ्वीराज कैंसर से बुरी तरह से प्रभावित थे। उस कैंसर की पीड़ा फिल्म में उनके किरदार के चेहरे पर साफ़ झलकती है। उन्हें संवाद बोलने में काफी तकलीफ होती थी। आसमान महल में नवाब के बेटे सलीम का किरदार करने वाले अभिनेता दिलीप राज के पिता जय राज के साथ पृथ्वीराज कपूर ने १९५७ में रिलीज़ फिल्म परदेसी की थी। वह ऐसे अभिनेता थे, जिसने अपने पिता, बेटों और पोतों के साथ फ़िल्में की। बेटे राजकपूर के निर्देशन में फिल्म आवारा में जहाँ खुद पृथ्वीराज ने अपने बेटे राजकपूर के पिता का रोल किया, वहीँ उनके पिता दीवान बशेश्वरनाथ उनके रील लाइफ पिता भी बने थे। पृथ्वीराज कपूर ने आनंद मठ में गीता बाली के साथ अभिनय किया, जो बाद में उनके बेटे शम्मी कपूर की पत्नी बनी। राजकपूर के साले प्रेम नाथ ने रुस्तम सोहराब फिल्म में रुस्तम यानि पृथ्वीराज के बेटे सोहराब का किरदार किया था। उन्होंने शम्मी कपूर के साथ राजकुमार और जानवर जैसी फ़िल्में की। पोते रणधीर कपूर के निर्देशन में फिल्म कल आज और कल में वह बेटे राजकपूर और पोते रणधीर कपूर के साथ साथ होने वाली बहू बबिता और दूसरे साले नरेंद्र नाथ के साथ भी अभिनय कर रहे थे। २९ मई १९७२ को उनका देहांत हो गया। उनकी मृत्यु के १५ दिनों के अंदर उनकी पत्नी का भी स्वर्गवास हो गया।
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